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हिज़्बुत-तलबा (छात्र संघ)
दारुल उलूम में छात्रों का एक संघ भी है जिसे हिज़्बुत-तलबा कहा जाता है। इस संघ के सदस्य व पदाधिकारियों का चुनाव शिक्षा वर्ष के आरम्भ में स्वयं छात्र करते हैं। इस संघ का पुस्तकालय व समाचार पत्र कक्ष होता है। जिसकी देखरेख छात्रों के कंधों पर ही होती है। दारुल उलूम में हिज़्बुत-तलबा के पुस्तकालय में छात्रों हेतु ज्ञान व साहित्य संबंधी उच्च कोटि की पुस्तकें हैं जिनसे छात्र खूब लाभ प्राप्त करते हैं। इस पुस्तकालय की देखरेख व व्यवस्था छात्रों के हाथ में रहती है। पुस्तकालय सचिव की देखरेख में यह पुस्तकालय कार्य करता है। इसी तरह बज़्मे-सुलेमानी तथा बज़्मे-खिताबत के माध्यम से छात्रों को लेखन व भाषण का अभ्यास भी कराया जाता है। फिर प्रतियोगिताओं के पश्चात छात्रों को पुरस्कार वितरित किये जाते हैं। बज़्मे-सक़ाफ़त के माध्यम से छात्र सांस्कृतिक तथा अन्य गतिविधियां करते हैं इसी बज़्मे-सक़ाफ़त के द्वारा छात्रों की एक वार्षिक पत्रिका “अस-सक़ाफा” तथा विभिन्न “जिदारिये” (दीवार या बोर्ड पर टंगी हुईं पत्रिकाएं) प्रकाशित होती रहती हैं। समय समय पर शायरी व मुशायरा तथा पैगंबर मुहम्मद ﷺ की प्रशंसा पर आधारित कविता “नात पाठ” के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।
शारीरिक व्यायाम व खेल
दारुल उलूम ताजुल मसाजिद में आरंभ से ही खेलों का विशेष आयोजन किया जाता है। छात्रों में जरनल कप्तान और वाईस कप्तान का चयन होता है और खेल के हर प्रकार के कप्तान नियुक्त किये जाते हैं जिसे छात्र ही नियुक्त करते हैं। इस प्रकार क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल, रिंग बाल और टेबल टेनिस पाबंदी से असर से मगरिब तक होते हैं। खेल के समस्त सामान की व्यवस्था दारुल उलूम करता है वर्ष के अंत में जरनल कप्तान से समस्त सामान का हिसाब लिया जाता है अभी कुछ वर्ष पूर्व दारुल उलूम में एक जिम हाल का भी उद्घाटन हो चुका है जिसमें छात्र विशेषज्ञ की देखरेख में व्यायाम करते हैं।