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ईफता
इस्लामी क़ानून तथा धार्मिक जानक़ारी का ज्ञान सदैव से मुस्लिम समाज की मूल आवश्यकता रही है। इस संबंध में सदैव से समाज के लोग धर्म के ज्ञानियों से अपनी समस्याओं का समाधान पूछते रहे हैं। मुस्लिम शासन व रियासतों की समाप्ति के पश्चात यह कर्तव्य समाज के ज्ञानी, संस्थान तथा विशेष रूप से धार्मिक मदरसे निभा रहे हैं। दारुल उलूम ताजुल मसाजिद में भी इस आवश्यकता को देखते हुए “इफ्ता” का विभाग स्थापित किया गया है। इस विभाग में धार्मिक व इस्लामी समस्याओं का उत्तर दारुल उलूम के धार्मिक क़ानून के शिक्षक दिया करते हैं।
महत्वपूर्ण उत्तरों की नक़ल रखने की भी व्यवस्था है। अब समय की आवश्यकताओं के दृष्टिगत ऑनलाइन फतवा का प्रयोजन भी आरंभ कर दिया गया है। जिसमे हमारी वेब साइट के दर्शक जब चाहें सुविधानुसार अपनी समस्याओं के समाधान पूछ सकते हैं। इस विभाग की स्थापना का एक उद्देश्य यह भी है कि दारुल उलूम में ऐसे लोग तैयार किये जाएं जो इस्लामी क़ानून बताने की कला व फतवा देने की विशेषज्ञता रखते हों तथा समाज की यह आवश्यकता पूरी करें।