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मस्जिद का परिचय

भोपाल नगर में स्थित ताजुल मसाजिद शाहजहां बेगम की महत्वाकांक्षा का भव्य परिणाम है। बेगम साहिबा ने 1887 ई० (28 मुहर्रम 1305 हिजरी) में ताजुल मसाजिद के निर्माण का आरंभ किया बेगम साहिबा के मस्तिष्क में इसे वास्तव में मस्जिदों का ताज बनाने का विचार था और इसकी ज्ञानी व धार्मिक स्थिति का सम्मान इस प्रकार किया गया कि इसके आसपास निस्वार्थ दान संपत्ति की व्यवस्था की गई। इसका परिसर बहुत भव्य था एक और हाफिज (क़ुरान कंठस्थ करने) का मदरसा था दूसरी और ज्ञानी (आलिम) तैयार करने का। शाहजहां बेगम इस मस्जिद को इस्लामी संसार की भव्य मस्जिद के नक़्शे पर बनाना चाहती थीं। जो एक साथ मस्जिदें अर्थात उपासना स्थल भी होती थीं और शिक्षा गृह भी अर्थात ज्ञान व कला का केंद्र भी।

यह मस्जिद इस्लामी संसार की भव्य मस्जिदों में से एक है। भारत की सबसे विशाल मस्जिद है। दिल्ली की प्रसिद्ध जमा मस्जिद जैसी है बल्कि उससे एक तिहाई बड़ी है तथा तीन तल पर आधारित है।

1 मस्जिद का आंगन 325 x 325 फिट
2 मस्जिद की छत 82 x 258 फिट
3 मस्जिद के अंदर का भाग 72 x 206 फिट
4 मस्जिद के स्तंभ 70
5 स्तंभों का वर्गीकार भूमि पर 3.5 x 3.5 फिट
6 उत्तरी व दक्षिणी मीनारों की ऊंचाई 228 फिट
7 मध्य गुम्बद की मस्जिद की छत से ऊंचाई 62.5 फिट
8 चौकोर डायमीटर 65 x 65 फिट
मस्जिद के द्वार ऊंचाई चौड़ाई गहराई प्रवेश
पूर्वी मुख्य द्वार 47 40 40 11 फिट
उत्तरी द्वार 25 25 18 18.5 फिट
दक्षिणी द्वार 25 25 18 9 फिट

अंदर का भाग

मस्जिद के उत्तरी दक्षिणी तथा पूर्वी दालानों के कक्षों की संख्या 120 है। सबका नाप 8.5 x 13 फिट है।

 

मस्जिद के आंगन में होज़ (जल सरोवर) चबूतरे सहित 58 x 58 फिट है।

 

आंगन के उत्तर व पूर्व में चार होज़ (सरोवर) 85 x 85 फिट हैं।

 

सम्पूर्ण मस्जिद की लम्बाई पूर्व व पश्चिम 526 फिट है।