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पुस्तकालय (अल्लामा सैय्यद सुलेमान नदवी)
दारुल उलूम ताजुल मसाजिद में आरंभ से ही पुस्तकालय स्थापित किया गया है यह पुस्तकालय पहले मस्जिद के उत्तरी दालान में स्थापित किया गया था तत्पश्चात यह पुस्तकालय स्थायी भवन में विस्थापित कर दिया गया जो विकास के आयाम तय करते करते इस चरण पर पहुंचा कि अब यह धार्मिक जानकारी के परिप्रेक्ष्य में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा पुस्तकालय बन गया है इस पुस्तकालय में ज्ञान का उत्तम भंडार जमा कर दिया गया है। इसमें बड़ी ऐतिहासिक व कला के महत्व की मूल्यवान पुस्तकें हैं जो इस व्यवस्था के साथ रखी गईं हैं कि सभी ज्ञान प्रेमी इसको सम्मान तथा रुचि की दृष्टि से देखते हैं। फर्नीचर, प्रकाश व वायु का ध्यान रखते हुए आधुनिक व्यवस्था के साथ पुस्तकों का संयोजन रजिस्टरों की पूर्णता, आधुनिक शैली में कैटलॉग का संयोजन। पुस्तकालय की सुरक्षा नियम व शर्तों के पालन ने इस पुस्तकालय को बड़ा महत्व प्रदान कर दिया है। पुस्तकालय से लाभ लेने हेतु सदस्यता अनिवार्य है तथा दारुल उलूम से संबद्ध स्थानीय पुस्तक प्रेमियों के अलावा बाहरी व्यक्ति भी इसके सदस्य बन सकते हैं।
शाही औक़ाफ़ के ज़िम्मेदारों ने भी अपने पुस्तक भंडार को दारुल उलूम ताजुल मसाजिद के पुस्तकालय को सौंप दिया था। इस प्रकार यह अमूल्य पुस्तकालय भी अब दारुल उलूम ताजुल मसाजिद के पुस्तकालय को भव्यता प्रदान कर रहा है।
इस पुस्तकालय में पुस्तकों की वृद्धि होती रहती है। अल्हम्दुलिल्लाह इस समय दारुल उलूम के पुस्तकालय में 25 हज़ार से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। जिनमें से अधिकतर अरबी में हैं। इसके बाद उर्दू व फ़ारसी की हैं। अंग्रेजी की पुस्तकें कम हैं। यह पुस्तकें 55 साहित्यिक विचारों तथा ज्ञान के विषयों पर आधारित हैं।